Friday 13 April 2012

"लोकतंत्र बीमार है"


 "लोकतंत्र बीमार है"

लोकतंत्र बीमार अब, है जनता में रोष।
इक दूजे पर थोपते, अपना अपना दोष।।

बातें जन-हित की करें, स्वार्थ न करते दूर।
आम लोग सच जानते, साथ चले भरपूर।। 

जागो देश निवासियों, नहीं हुई है देर  
बनी रहे बस एकता, दुश्मन होंगे ढेर।।

नहीं गुलामी देश में, फिर भी है संताप।
छोड़ गये अंग्रेज पर, शेष रह गयी छाप।।

प्रकृति नियम हरदम यही, होंगे ही बदलाव।
बहे हवा के संग कुसुम, उससे नहीं लगाव।।

-कुसुम ठाकुर-

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